Tuesday, June 30, 2009

Wednesday, June 24, 2009

Tuesday, June 16, 2009

घने कोहरे में चूत मरवाई

मेरा नाम दीपिका वर्मा है, मेरी उम्र बीस साल है, रंग इतना गोरा नहीं है पर नैन-नक्श तीखे हैं और बेहतरीन जिस्म की मलिका हूँ। इस वक़्त कॉलेज में पढ़ती हूँ। किसी लड़के की नज़र मेरे गोल-मटोल मम्मों पर न रुके, यह हो ही नहीं सकता। लड़कों ने मेरा नाम जुगाड़ डाल रखा है।

मैं शुरु से ही एक ऐसे माहौल में रही हूँ, जिससे मैं अपनी जवानी को शुरु से ही क़ाबू में नहीं कर पाई, मेरी संगत और गन्दी लड़कियों से रही। खाली समय में कक्षा में ही एक-दूसरी के मम्मे दबाना, पेन-पेन्सिल चूत में डाल कर मज़े लेना आदि। जल्दी ही पेन-पेन्सिल छोड़कर लंड भी तलाश लिया। उसके बाद कई लड़कों के साथ मैंने मज़े लूटे। वैसे मैंने बहुत चुदाई करवाई है, लेकिन आपको अपनी एक ऐसी चुदाई सुनाऊँगी जो मैं कभी नहीं भूल सकती।

मोहल्ले के ही एक लड़के के साथ मेरा चक्कर चल निकला। वह मुहल्ले का एक गुंडा टाईप लड़का था, जिससे सभी डरते हैं, कोई भी उसके साथ पंगा नहीं लेता। मुझे वह बहुत पसन्द था, इसलिए मैंने उसे बढ़ावा दिया और उसके इजहार करते ही मैंने हाँ कह डाली। हम छुप-छुप कर मिलने लगा। वो मेरे हर-एक अंग से खेल चुका था। बस जगह न मिलने के कारण उसने मुझे चोदा नहीं था। उसका मोटा लंड कई बार हाथ में लेकर सहलाया और मुठ मार चुकी थी। एक बार साईबर कैफे के केबिन में चूसा भी था।

जैसे ही मौसम बदला, सर्दी के दिन आए और घना कोहरा पड़ना शुरु हुआ, उसकी आड़ में हम मिलने लगे। हम चुदाई के लिए तड़प रहे थे, क्योंकि जब से उसके साथ मेरे चक्कर के बार में मेरे दूसरे बोर दोस्तों को पता चला तो वह मेरा साथ छोड़ धीरे-धीरे पीछे हट गए थे। एक दिन घना कोहरा पड़ा हुआ था। मैं स्कूल के लिए निकली थी, रोज़ की तरह थोड़ा आगे जाकर वह जहाँ मुझे रोज़ मिलता था, आज वह वहाँ नहीं मिला। थोड़ा आगे बढ़ी तो किसी ने मेरी बाँह पकड़ कर मुझे अपनी ओर खींच लिया। मैं उसकी बाँहों में चली गई। प्लॉट खाली था, कोहरा इतना था कि आदमी को पास खड़ा आदमी भी नहीं दिख पाता था। मैं उससे लिपट गई, उसने बेइन्तहा चूमना शुरु कर दिया। दोनों हाथों से मेरी चूचियाँ दबाने लगा।

मैंने उसका लंड पकड़ लिया। उसने मेरी स्कर्ट में हाथ डाल दिया। अन्दर स्लाक्स पहनी हुई थी, जो शरीर से बिल्कुल चिपकी हुई थी। उसने मेरी चूत मसल डाली। मेरे अन्दर आग आज कुछ अधिक ही धधक रही थी, आज मैं बहुत प्यासी थी। मैंने उसके लंड को पैन्ट के ऊपर से पकड़ लिया।

मैंने उसकी बाँह पकड़ कर उसे प्लॉट के पिछले हिस्से में खींच लिया और उसकी ज़िप में से लंड निकाल लिया, पैरों के बल बैठ मुँह में डाल लिया और पागलों की तरह चूसने लगी। उसने नीचे से अपना पैर स्कर्ट में डाल अपने पैर के अँगूठे से मेरी चूत को दबा दिया। ओस से कपड़े गीले हो जाते, इस वज़ह से हम नीचे नहीं लेट सकते थे। उसने मुझे खड़ा किया, स्कर्ट खोल डाली। हुक़ खुलते ही स्कर्ट नीचे गिर गई। हाय... यह क्या कर दिया तुमने?

तुझे नंगी किया.. साली...!

उसने चूस-चूस कर पागल कर दिया और स्लाक्स उतार कर फेंक दी।

मैंने कहा, ठीक से रख दो, फिर पहनने भी तो हैं। मैं भी बेशर्म हो गई और पैन्टी ख़ुद ही उतार दी। उसने अपनी शर्ट उतार कर वहीं नीचे बैठते हुए मुझे घुटने रखवा कर घोड़ी बना दिया और अपनी जीभ मेरी चूत में डाल कर चूसने लगा।

हाय... लंड पेल दो प्लीज़...

ले रानी, कहते हुए उसने लंड को चूत पर रखते हुए धक्का मारा। उसके तीन धक्कों से ही लंड मेरी चूत में पूरा समा गया। अब करो... फाड़ डालो... बहुत प्यासी है यह तेरे लंड की आज... ठंडी कर दे मेरी आग...

वह तेज़-तेज़ धक्के मारता गया... अचानक उसने पासा पलटा और सीधा लिटा कर अन्दर डालते हुए करारे झटके मारे... मैं झड़ गई और मेरी गर्मी से वो भी पिघल गया और अपना सारा पानी मेरी चूत में ही डाल दिया।

कितना मज़ा आया इस तरह रास्ते में चूत मरवा कर... ऐसा मज़ा बिस्तर पर कभी नहीं आया।

तो यह थी मेरी एक मस्त चुदाई की कहानी। फिर हाज़िर होऊँगी अगली कहानी लेकर। सब लड़कों के लंड खड़े रहें। भगवान सभी को मोटे लंड दें, ताकि मुझ जैसी प्यासियों की आग बुझती रहे।

इतनी जल्दी हो गया

मेरा नाम विनीत है और मैं बहादुरगढ़ में रहता हूँ। मैंने अब तक की अंतर्वासना की सारी कहानियाँ पढ़ी हैं। आज मैं भी पहली बार आप सब को अपनी एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ। हमारे सामने वाले घर में एक परिवार रहता है, पति पत्नी और उनके ३ बच्चे।

सॉरी दोस्तो ! मैं अपने बारे में तो बताना भूल ही गया।

मैं २७ साल का ६ फ़ीट लंबा और ठीकठाक दिखने वाला लड़का हूं और मेरा लण्ड ९" लंबा और ३" मोटा है।

घर के सामने वाली आंटी का नाम ऋतू है। वैसे वो ज्यादा उमर की नहीं है, ३७ या ३८ की है। दिखने में वो थोड़ी मोटी है। उनका फिगर ३८-३८-४० है। मैं अक्सर उनके घर जाने के बहाने ढूंढता रहता हूं. क्योंकि मैं आंटी को बहुत पसंद करता हूँ।

उन के पति का प्रोपर्टी का काम करते हैं और वो ज्यादातर घर पे लेट आते हैं, हमेशा नशे में रहते हैं और कई बार तो आंटी की पिटाई भी करते हैं। जब वो आंटी को मारते हैं तो मेरा दिल करता है कि मैं उनकी जम के पिटाई करूँ।

एक दिन अंकल ने आंटी की जम के पिटाई की। अगले दिन जब अंकल घर से चले गए तो मैं उन के घर गया। आंटी लेटी हुई थी। वो हमेशा सलवार-कमीज़ पहनती हैं। जब मैं वह पहुँचा तो उनकी आँखे बंद थी और उन का कमीज़ उनके पेट के उपर तक उठा हुआ था। मैं वहाँ खड़ा थोड़ी देर तक उनको देखता रहा। थोड़ी देर बाद जब वो थोड़ा हिली तो मुझे उनकी कमर पर कुछ निशान दिखे। तब तक आंटी ने भी मुझे देख लिया था कि मैं उनको घूर रहा हूँ। उन्होंने झट से अपना कमीज़ नीचे कर लिया और पूछा- तुम कब आए?

मैंने कहा- बस थोडी देर हुई है, आप सो रही थी तो मैंने आप को उठाया नहीं, क्योंकि मैंने कल रात भी आप के घर से झगड़े की आवाजें सुनी थी।

यह बात सुन कर आंटी ने अपना सर नीचे कर लिया। फ़िर मैंने कहा- मैंने अभी आप की पीठ पर कुछ निशान देखे हैं।

तो वो खड़ी हो गई और बोली- कुछ नहीं है, वो तो बचपन से ही हैं।

तो मैंने पूछा- कैसे लगे थे?

तो वो थोड़ा सोचने लगी। तभी मैं बोला- ये बचपन के नहीं, कल रात के हैं।

उन्होंने फ़िर से कहा- नहीं बचपन के हैं !

मैंने कहा- दिखाओ, मैं देखना चाहता हूँ कि कब के हैं !

तो वो मना करने लगी, मैंने जबरदस्ती उनको पकड़ कर दूसरी तरफ़ घुमा दिया और उनका कमीज़ ऊपर उठाने लगा, वो मना करने लगी पर मैं कहा मानने वाला था बिना देखे !!

जब मैंने देखा तो अंकल ने उन्हें अपनी बैल्ट से मारा था।

मैंने पूछा- ये बैल्ट के हैं?

तो वो रोने लगी और मेरे गले लग गई। मुझे आंटी पर दया आ रही थी और अच्छा भी लग रहा था कि जिसे मैं इतने दिनों से अपनी बाहों में लेना चाहता था वो आज मेरी बाहों में थी चाहे किसी भी कारण से !

फ़िर मैंने आंटी को सोफे पर बिठाया और पूछा- यह क्यों हुआ?

तो वो और ज्यादा रोने लगी। मैं उनके पास बैठ गया और उनके चेहरे को पकड़ कर पूछने लगा तो वो बोली- क्या बताऊँ, यह तो रोज का काम है !

मैंने पूछा- बात क्या है?

तो वो बोली- मैं यह बात तुम्हें कैसे बताऊँ?

तो मैंने कहा- आप मेरे ऊपर विश्वास कर सकती हो !

तो वो बोली- मैं तुम पे विश्वास करती हूँ पर कैसे बताऊँ ! मैंने ज्यादा जोर दिया तो वो बताने के लिए तैयार हो गई। वो कहने लगी- तेरे अंकल हर रोज रात को लेट आते हैं, नशे में होते है और वो रात में मेरी चुदाई करते हैं और जल्दी ही झड़ जाते है। जब मैं उन को यह कहती हूँ कि इतनी जल्दी हो गया तो मेरी पिटाई करते हैं। न तो वो मेरा पूरा करवाते हैं और ऊपर से पिटाई भी करते हैं। अब तुम ही बताओ मैं क्या करूँ?

और वो फ़िर से रोने लगी। मैंने उन को गले से लगा लिया और कहा- आंटी अगर आप गुस्सा न करें तो इस काम में मैं आप की मदद कर सकता हूँ !

वो मेरे सीने से लगी लगी पूछने लगी- किस काम में?

तो मैंने कहा- जो अंकल नहीं कर पाते ! फ़िर आप की पिटाई भी नहीं होगी !

आंटी ने मेरे गले से लगे लगे ही कहा- तुम तो मेरे से बहुत छोटे हो !

मैंने कहा- तो क्या हुआ ! मैं आपको बहुत पसंद करता हूँ। आंटी की पकड़ धीरे धीरे टाइट होती जा रही थी। मैंने भी आंटी की कमर पे हाथ घुमाना शुरु कर दिया था, उनको भी मजा आने लगा था, मेरी लाइन साफ़ थी। मैंने आंटी के चेहरे को हाथों में पकड़ लिया, आंटी ने आँखे बंद कर ली थी, मैंने अपने होंठ उनके मुलायम होठों पर रख दिए। आंटी ने मुझे कस के पकड़ लिया और मेरी किस का पूरा जवाब देने लगी।

मैं आंटी के कूल्हों को पकड़ कर दबाने लगा। फ़िर आंटी को सोफे पे लिटा कर उनके ऊपर लेट गया और उनके दोनों स्तनों को दबाने लगा। आंटी पूरी तरह मस्त हो गई थी। मैं आंटी को २० मिनिट तक किस करता रहा। उसके बाद आंटी ने कहा- मैं दरवाजा बंद करके आती हूँ, कोई आ गया तो?

आंटी दरवाजा बंद कर के जैसे ही वापस आई, मैं एक बार फ़िर से उन पे टूट पड़ा और उनके सारे कपड़े निकाल दिए। उन्होंने भी मेरे सारे कपड़े निकाल दिए। आंटी मेरे लण्ड को देख कर एकदम बोली- इतना बड़ा लण्ड !!

मैंने कहा- आंटी ! ज्यादा बड़ा थोड़े ही है ! सारा का सारा तुम्हारी चूत में आ जाएगा !!

तो वो बोली- आराम से करना ! नहीं तो मैं मर जांऊगी, बहुत दर्द होगा।

हम दोनों बेड पर लेट गए और फ़िर से किस करने लगे। आंटी मेरे हथियार से खेल रही थी ओर मैं अपनी ऊँगली से उनको चोद रहा था और एक हाथ से उनकी चूची दबा रहा था और किस कर रहा था। आंटी की चूत पूरी गीली हो चुकी थी। अब मैं उनकी चूची चूस रहा था और वो जोर जोर से मेरा लण्ड हिला रही थी। थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरा लण्ड मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। मुझे बड़ा मजा आ रहा था।

५ मिनट लण्ड चूसने के बाद वो बोली- बस अब नहीं रहा जाता, जल्दी से अंदर डाल दो !

तो मैं उन की टांगो के बीच में आ गया और उन के उपर लेट गया और किस करने लगा। तो आंटी ने अपने पैरों से मेरी कमर को जकड़ लिया और मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी चूत में डाल लिया। मैंने एक जोर को धक्का दिया और आधे से ज्यादा लण्ड उनकी चूत में घुस गया और उन के मुँह से आह निकल गई।

वो बोली- थोड़ा धीरे !

पर मैं कहा सुनने वाला था, मैंने एक और धक्का मारा और पूरा लण्ड आंटी की चूत में चला गया। उन्होंने मुझे जोर से पकड़ लिया.और कहा कि थोड़ा रुक जाओ।

मैंने उनकी एक न सुनी और धक्के पे धक्के मारने लगा। थोड़ी देर बाद वो भी चुदाई का पूरा आनंद लेने लगी।

थोड़ी देर बाद वो बोली- जल्दी जल्दी करो ! मैं झड़ने वाली हूँ !

तो मैंने अपने स्पीड बढ़ा दी और आंटी झड़ गई। वो बहुत खुश लग रही थी। फ़िर मैंने अपना लण्ड निकाल लिया और आंटी को कुतिया वाले स्टाइल में आने को कहा, तो वो बेड के किनारे पे झुक गई कुतिया की तरह।

अब मैं आंटी के पीछे से डाल रहा था और वो भी आगे पीछे हो रही थी। मैंने अपनी ऊँगली उनकी गांड में डाल दी तो वो बोली- यहाँ कुछ नहीं करना !

लगभग १५ मिनट बाद मैंने आंटी की चूत में अंदर तक डाल कर अपना सारा माल उनकी चूत में डाल दिया। उस दौरान आंटी भी दो बार झड़ चुकी थी। मैं आंटी को वैसे ही उलटी लेटा कर उन के उपर लेट गया बिना अपना लण्ड निकाले। मैं १५ मिनट तक आंटी के ऊपर लेटा रहा। फ़िर मुझे लगा कि मेरा हथियार फ़िर से खड़ा हो रहा है।

मैं आंटी के उपर से उठा तो वो मेरे लण्ड को देख के बोली- यह तो फ़िर से तयार हो रहा है ! आज के लिए इतना ही बस, बाकी कल !

मैंने कहा- बस एक बार और !

पहले तो आँटी मना करती रही फ़िर वो मान गई। फ़िर हमने मजे किए। मैंने आंटी की गांड भी मारी। बाद में हमने क्या क्या किया यह मैं अगली कहानी में बताऊंगा। आपको यह कहानी कैसी लगी, जरुर बताना !

मैं कॉल बॉय टाइप लड़का बनाना चाहता हूँ।

मार डाला रे !

मैं ग़ुड़गावं से हूँ। मैं २५ साल का हूँ और मैं हर वक्त सेक्स का प्यासा रहता हूँ। मेरे घर में मैं, मोम और डैड हैं।

यह बात तब की है जब मैं बीस साल का था। हमारे घर पर एक नई काम वाली आई, क्या चीज़इ थी वो !

पहले दिन जब उसको देखा तो मैं बस देखता ही रह गया और सोचा कि अब शायद मेरा काम हो जायेगा, मेरे लंड जी की प्यास बुझ जायेगी। उसकी फ़ीगर देख कर मेरा तो लंड उछलने लगा उसकी फ़ीगर ३६-३२-३६ थी। वो शादी-शुदा थी और साढ़े पांच फ़ीट की गोरी चिट्टी औरत थी और उसकी मोटी मोटी आंखें थी।

एक दिन जब वो मेरे कमरे में सफ़ाई कर रही थी तो मैंने उसके बड़े-२ स्तन देखे और उसके चले जाने के बाद मैं बाथरूम चला गया और अपने लंड को बाहर निकाल कर उसके नाम की मुठ मार दी। मैं उससे सेक्स करना चाहता था लेकिन डरता था उससे।

एक दिन मोम और डैड दोनो बाहर चले गये। मैं घर पे अकेला था और शाम के ५ बजे थे, मैंने ब्लू मूवी देखनी शुरु की और अपना लंड बाहर निकाल लिया। अचानक काम वाली अंदर आ गई। न जाने वो कब आ गई। मुझे पता नहीं चला कि कब मेन-गेट खुला और वो अंदर आ गई। मैं उसे देख कर डर गया और वो मुझे नंगा देख कर बाहर चली गई और किचन में जाकर बर्तन धोने लगी। मैं डरा हुआ टीवी बंद करके अपनी पैंट बंद कर रसोई में चला गया।

मैंने धीरे से कहा- आंटी चाय पियोगी?

वो गुस्से में बोली- नहीं।

मैं और डर गया। मैंने कहा- आंटी प्लीज़ किसी को मत बताना जो अंदर देखा।

वो कुछ नहीं बोली।

मैंने फिर कहा- प्लीज़ मोम को मत बताना।

उसने कहा- तुझे शरम नहीं आती ये सब करते हुए?

मेरे पसीने छूट गये। मैंने हाथ जोड़े- प्लीज़ आंटी, मुझे पता नहीं चला कि आप कब आ गई और मैं गरम था।

उसने मुझे आंखों से घूरा और वो बोली- तुम सारा दिन यही करते हो क्या? चल अपने कमरे में जा ! मुझसे बात मत कर ! मैं तेरी मां को बोल दूंगी कि इसकी शादी कर दे।

मैंने उसकी बहुत मिन्नतें की, लेकिन वो नहीं मानी। मैं कमरे में आ गया। वो १५ मिनट बाद मेरे कमरे में आई और मेरे पास आकर खड़ी हो गई।

मैंने फिर कहा- आप जो कहोगी, मैं करूंगा ! अगर तुमको पैसे चाहिये तो ले लो ! वो और गरम हो गई और मुझे थप्पड़ लगा दिया और कहा- मैं बिकाऊ नहीं हूँ।

मैं रोने लग गया। वो मेरे पास बेड पर बैठ गई और बोली ये रोकर किसको दिखा रहा है।

मैंने कहा- प्लीज़्ज़ज़्ज़ज़्ज़ज़्ज़ज़्ज़ ! आंटी ! अब नहीं करूंगा !

वो बोली- क्या नहीं करेगा?

मैंने कहा- मुठ नहीं मारूंगा !

बोली- पक्का?

मैंने कहा- प्रोमिस !

उसने अपनी टांगें बेड पर रखी, उसने काली साड़ी पहन रखी थी। उसने मेरे गालों पर हाथ लगाया और बोली- मत रो ! मेरे राजा ! मैं तो तुमको डरा रही थी, तू तो सच में डर गया। चल अब शुरु हो जा मस्ती कर ! यही तो उमर है यह सब करने की !

मुझको ऐसी बातें सुन कर थोड़ा सुकून मिला।

उसने अपना हाथ मेरी ज़िप पर रखा- अरे मेरे राजा ! तुम्हारा लंड तो सो रहा है !

मैं उसके मुंह से लंड शब्द सुन हैरान रह गया।

और उसने कहा- चल अपनी पैंट उतार !

मैंने कहा- क्या ?

आंटी बोली- सुनाई नहीं देता क्या? चल !

मैंने अपनी पैंट उतार दी, उसने मेरा अंडरवियर खींच दिया और मेरे ३ इंच के लंड को हाथ लगाया। मेरा लंड टाइट होने लगा और उसने मेरे लंड की टोपी को अपने अंगूठे से स्पर्श किया। अब मैं मस्त हो गया।

वो बोली- तेरा लंड तो बहुत बड़ा है ! और देखते ही देखते मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया और उसने मेरा ८ इंच का लंड अपने मुंह में ले लिया और उसको चूसने लगी।

मुझे ऐसा अनुभव पहली बार हुआ, मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मैं स्वर्ग में हूँ।

मेरे लंड को चूसने के बाद वो खड़ी हो गई उसने अपनी साड़ी उतार दी और अपना पेटीकोट भी।

मैंने भी हिम्मत कर अब उसके स्तन दबा दिये, उसकी काली ब्रा उतार फ़ेंकी और उसके मोटे-२, गोरे-२ मम्मे दबाने लगा, उसकी चूचियां कड़ी हो गई और बोली- समीर बाबू ! दबा ज़ोर से ! आआआआह्हह्हह ऊऊह्हह्हह्हहह, मैं भी बहुत दिनों की प्यासी हूँ।

मैंने उसके मम्मे जमकर चूसे। वो सिसकियां ले रही थी। और ऐसे में मैंने एक हाथ से उसकी पैंटी उतार दी। अब हम दोनों बिल्कुल नंगे हो गये, मैंने उसकी चूत में उंगली डाल दी, वो सिसकियां ले रही थी- आअह्हह्हह्हह्हह समीर बाबू मर गई ! आज मेरी प्यास बुझा दो !

हम अब ६९ पोजिशन में आ गये उसने मेरा लंड फिर चूसना शुरु किया और मैं अपनी जीभ उसकी गरम चूत पर रख कर उसे कुत्ते की तरह चाटने लगा।

उसने अब अजीब अंदाज़ में कहा- साले कुत्ते ! अब मत तड़पा ! चोद दे मुझको ! फाड़ दे मेरी चूत ! मरी जा रही हूँ !

मैं ऐसा सुनकर मैंने भी बोला- चल साली रांड ! आजा आज तेरी चूत फाड़ दूंगा !और मैंने उसे कुतिया बना लिया, लंड का सुपाड़ा उसकी चूत पर रख दिया, हल्का सा धक्का लगाया।

वो बोली- आअह्हह्हह्हह्हह्हह्हह ऊऊह्ह ह्हह्हह्हह्हह ! साले पूरा डाल ! अपनी रंडी आंटी के अंदर !

और मैंने ज़ोर से झटका दिया, बोला- ले साली रंडी आंटी !

अब पूरा ८ इंच का लंड उसकी चूत में प्रवेश कर चुका था।

वो बोल रही थी- आआआअह्हह्हह्ह ऊऊऊओह्हह्हह्हह्हह आआऊऊऊऔऊऊउस्सह्हह ! मार डाला रे ! इतना दर्द तो सुहागरात को नहीं हुआ ! हरामी तेरा लौड़ा ही इतना बड़ा है ! ऐसे गालियां सुन मुझे गुस्सा आया और मैं ज़ोर-२ से उसको चोदता गया और वो मुझे गालियां दिये जा रही थी- साले कुत्ते ! आअह्हह्हह्ह ! फाड़ दे ! आह्हह ! समीर बाबू ! आआह्हह्हह्हह ऊऊऊह्हह्हह ! आज लगा दे सारा ज़ोर !

कमरे में चुदाई की आवाज़ और आआआअह्ह ऊओह्हह्ह की आवाज़ भर गई।

वो पागल सी हो गई और मैं भी।

वो सीधी लेट गई और मैंने उसकी टांगें खोल कर उसकी फिर से चुदाई शुरु कर दी और वो मेरी पीठ पर नाखून गड़ाने लगी, उसने मेरी छाती पर काट लिया।

वो अब दूसरी बार झड़ गई और बोली- साले ! आज फाड़ देगा क्या ! चल ज़ोर लग आआआअह्हह्हह्हह्ह !मेरा वीर्य आ गया और मैं आनन्द से भर गया। और सारा वीर्य उसकी चूत में ही छोड़ दिया और अब हम दोनों शान्त हो गए। उसने मेरे माथे पे चूम लिया और बोली- तू मुझे रोज़ चोदा कर ! मैं तेरी इस चुदाई से खुश हुई।

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एक सम्पूर्ण मर्द था वो !

क्या करूँ दोस्तो ! मेरे में सेक्स कूट कूट के भरा है, यह दो इंच की गहराई दो चिकनी जांघों के बीच भगवान ने दी है, यह औरत को पागल बना देती है। इसकी आग ऐसी है कि बुझती ही नहीं, बढ़ती जाती है।

शादी से पहले अपनी माँ और बहन को देख कम उम्र में लगी यह आग बुझवाने के लिए कई लड़को से संबंध बना लिए- कालू, जग्गा, सोनू, राजू के इलावा भी कुछ लड़को से मैंने खूब चुदवाया। शादी के कुछ घंटे पहले आखरी बार अपने आशिकों को खुश किया, फिर सुहाग सेज पे नंदोई जी के साथ गुलछर्रे उड़ाये।

शादी के ठीक ३ दिन बाद फेरा डालने में मायके गई, वहाँ अपने आशिकों से खुद को मिलने से फिर न रोक पाई मौका देख कालू, सोनू, जग्गा, राजू जैसे हटे कटे मर्दों से फिर चुदवा लिया।

उसके बाद जिन्दगी आगे बढ़ने लगी, पति मुझे ठंडी ना कर पाता, नंदोई जी वापिस अमरीका चले गए। घर में मेरे अलावा मेरी सासू माँ, ससुर जी और एक ननद। घर बहुत बड़ा था, इसलिए बिलकुल सामने वाला हिस्सा जिसका गेट भी अलग था, किराये पे दिया हुआ था। पति सुबह दूकान पर चले जाते, ससुर जी भी !

किराए वाले हिस्से में चार लड़के रहते थे, सभी के सभी एक से बढ़कर एक। मैं उनकी तरफ़ कभी न गई थी लेकिन वो कोई चीज़ लेने का बहाना कर सासू माँ के पास आते, मुझे देख मुस्करा देते। पति से शांत ना होने की वजह और मेरा चुदासापन सर चढ़ बोलने लगा। अब मैं भी उनको देखने का मौका ढूंढती !

रहती सर्दी के दिन थे, वो लड़के काफी समय से किराये पर रहते थे तो सासू माँ उनको अपने बच्चों सा ही समझती थी, सुबह की चाय अपने घर से भिजवाती थी। अब मैं चाय देने के लिए जाती।

उनमें से बबलू नाम के लड़के की नज़र मेरे ऊपर थी, चाय पकड़ते हुए वो मेरे हाथों को छूता। मैंने भी अब उससे चुदने की सोची। अब चाय हाथ में देने की बजाय मेज़ पर रखते हुए झुकती और उनको सुबह सुबह ही अपनी छातियों के दर्शन करवाती, बाल सुखाने छत पर जाती, उनको निहारती रहती, कसी हुई ब्रा पहनती, पीछे से और आगे से भी गहरे गले के कमीज़ पहनती, ताकि उनको अधिक से अधिक जिस्म दिखाऊं।

बबलू को मैंने बस में कर लिया, आग बराबर लगी थी लेकिन मौका नहीं मिल रहा था। तभी एक दिन फ़ोन आया कि मेरी मासी-सास गुज़र गईं हैं, सभी वहाँ के लिए निकलने की तैयारी में थे, में भी ! लेकिन लाल चूड़ा अभी मेरी बाँहों में देख सासू माँ ने मुझे रुकने को कह दिया। मेरी ननद तैयार होकर कॉलेज चली गई। मैंने झट से कमीज़ के नीचे पहनी हुई अंडर-शर्ट उतार दी, कमीज़ पारदर्शी था, नीचे मैंने सिर्फ ब्रा पहनी थी, वो भी ऐसी जो अब मुझे तंग हो गई थी। कसाव की वजह से काली ब्रा में से मेरे दूधिया रंग के स्तन निकल निकल पड़ रहे थे। पारदर्शी सलवार के नीचे एक ऐसी पैंटी थी जो मुश्किल से मेरी चूत को छुपा रही थी, पीछे से गांड के चीर में फंसी पड़ी थी, पूरा पटाका बन मैं चाय लेकर उनके कमरे में चली गई।

मुझे देख बबलू की आंखें फटी रह गई- भाभी आप ! आओ आओ ! आज अपनी चाय भी हमारे साथ पी लो !

मैं बैठ गई उनके सामने !

बबलू ने मुझे घूरते हुए कहा- आज क़यामत लग रही हो, एक कमसिन हसीना !

बबलू ! आप चाय में ध्यान दो, नहीं तो ऊपर गिर जायेगी !

तुम हो ना साफ़ करने के लिए ! इसी बहाने मेरे पास तो आओगी !

मैं वैसे ही आ जाती हूँ बबलू ! कह मैं उसकी रजाई में घुस गई उसके साथ सट कर बैठ गई, अपना हाथ उसकी जांघ पर रख दिया, सामने टी.वी देखते हुए मैंने हाथ आगे बढ़ा दिया, उसने अपना हाथ मेरी छाती पर रखते हुए मेरी चूंची दबा दी।

उईईईईईईईईईई की आवाज मेरे मुँह से निकल गई। तभी पास में बैठे पिंटू को भी उसकी शरारत का पता चल गया। उसी वक्त बबलू ने मुझे दबोच लिया और तीन-चार चुम्बन मेरे गाल पर जड़ दिये। शर्म एक तरफ कर मैं पिंटू के सामने ही बबलू से लिपट गई। बबलू ने मेरी कमीज़ उतार दी और मेरे भारी मम्मों को दबा दबा के चूसने लगा।

पिंटू ने मौका देख मेरी सलवार का नाड़ा खोल कर सलवार खींच के उतारते हुए मेरी जाँघों पर हाथ फेरते हुए उनको चूमना सहलाना शुरू किया और बोला- भाभी बहुत तड़फ़े हैं आप के लिए !

हाय राजा ! जवानी तो मेरी तुम सबको देख अंगड़ाई लेती है !

देखते ही हम तीनो नंगे एक दूसरे के जिस्म से खेल रहे थे। मैंने दोनों के मोटे लंड हाथ में ले बारी बारी चूसने शुरू किए- हाय कितने मोटे लंड हैं !

खाओ भाभी जान !

तभी रवि और मुकुल बाज़ार से ब्रेड और अंडे ले कर आ गए। उनको देख मैं रजाई में घुस गई।

हाय भाभी ! क्या हुआ? इनसे ज्यादा मैं आपको चाहता हूँ ! मुकुल बोला- अपनी कसम ! मैं किसी दिन सबके सामने आपको पकड़ लेता !

जब मैंने रजाई से मुँह बाहर निकाला तो मुकुल नंगा खड़ा अपना लंड सहला रहा था। रवि कॉलेज चला गया। तभी बबलू ने मेरी टाँगे खोल, बीच में बैठ लंड अन्दर डाल दिया।

हाय पूरा डाल के चोद ! क्या लंड है !

ले साली ! बहुत तड़पाया है तूने !

मुकुल तो मेरे मम्मे चूसने में मस्त था।

हाय भाभी !

यह दूध के बड़े बड़े बर्तन खाली कर ले राजा !

पिंटू लंड मेरे मुंह के पास रख चुसवाने लगा। तभी बबलू तेज़ हो गया- हाय भाभी ! मैं छुटने वाला हूँ ! वो तेज़ तेज़ धक्के देने लगा, ओह भाभी ! क्या करू ! बहुत गर्मी है अन्दर !

डाल दे न अन्दर ही ! मुझे माँ बना दे ! मेरा पति निक्कमा है !

तभी मुकुल मम्मा मुँह से निकाल कर बोला- साली बच्चा मैं दूंगा तुझे !

तभी बबल ने लंड खींच लिया और सारा माल मेरे मुँह में निकाल दिया। मैंने चाट के एक एक कतरा साफ़ कर डाला। वो भी तैयार होने भाग गया।

अब पिंटू ने अपना लंड मेरे मुंह से निकाला, बीच में आते हुए बोला- भाभी मेरे लंड पर अपनी चूत रख इस पर बैठ जाओ !

उसको सीधा लिटा, मैंने अपनी गांड में खुद गीली ऊँगली डाल चिकनी कर उसके लंड को अपनी गाण्ड में टिकाते हुए नीचे बैठी, उसका लंड मेरी गांड में घुसता चला गया। सारा लंड मेरी गांड में समां गया।

वाह भाभी ! वाह ! धन्य हो गया आज !

मैं जोर जोर से उछलने लगी।

मुकुल सबमें से जानदार मर्द निकला, वो बोला- एक साथ दो डलवाओ रानी ! फ़िर देखना स्वाद !

उसने आगे से आते हुए अपना आठ इंच से भी ज्यादा लम्बा लण्ड एक साथ मेरी चूत में डाल दिया।

कुछ देर में पिंटू अपना पानी मेरी गांड में छोड़ हांफने लगा और लुढ़क गया।

वो भी गया !

मुकुल मुझे घोड़ी बना के चोदने लगा- हाय रानी ! सारा दिन चोदूंगा !

सच में ? हाय !

तेज़ तेज़ धक्के बजने लगे।

उईईइ अह्ह्ह फाड़ डाल इसको !

ले साली खा ! इसको ले ले !

उसने मुझे भरपूर सुख देना चालू किया।

एक सम्पूर्ण मर्द था वो ! वो हर ढंग जानता था औरत को भोगने का !

जब उसको लगता कि झड़ने वाला है तो वो रुक के चुम्मा चाटी वगैरा करता !

उसने मुझे खड़ा कर लिया और बोला- दीवार को थाम के गांड पीछे की ओर झुका के घोड़ी बन जाओ !

वो खड़ा होकर पीछे से मेरी चूत मारने लगा।

कुछ देर बाद उसने मुझे सीधा लिटा कर मेरी टाँगें अपने कंधों पर रख कर अपना लण्ड मेरी चूत में पेल दिया- लो भाभी लो !

लंड डाल कर फाड़ डाल मुकुल इस राण्ड की चूत ! मुझे बच्चा दे दे ! सासू माँ के ताने ख़त्म कर दे ! उनको क्या पता उनके बेटे में ही दम नहीं !

लो भाभी लो ! आज सारा दिन ठोक-ठोक के आपकी बच्चेदानी का मुंह खोल दूंगा !

लो सम्भालो ! लो ! कह उसने फिर डाल दिया और ओह्ह्ह्ह भाभी तुम माल हो साली ! तेरी कच्छी चुरा चुरा महक ले ले मुठ मारता रहा !

तेज तेज धक्के लगा उसने अपना गाढ़ा माल मेरे अन्दर डाल मुझे कस लिया। मैंने भी सांस खीच उसके लंड को भींचते हुए सारा माल अपने अन्दर निचोड़ लिया। मुझे घर का ख्याल न रहा और सारा दिन मुकुल से जिस्म का खेल खेलती रही।

कब ननद कॉलेज से आई, रवि, बबलू सब आ गए। तब तक वो तीन बार मुझे चोद चुका था। बबलू भी आते फिर लग गया।

मुझे ढूंढते हुए ननद वहां आई, उन चालाक लड़कों ने जानबूझ के दरवाज़ा खुला रखा था। ननद अन्दर आई तो मुझे चुदते देख उसका मुंह खुला रह गया।

बोली- भाभी ? यह ? ओह नो ! तुम पीछे से यह गुल खिलाती हो? सोचा भी नहीं था। सब भाई से कह दूंगी !

इससे पहले वो मुड़ती बबलू ने उसको खींच बाँहों में ले लिया- ललिता ! मेरी लाडो ! कह देना !

रवि ने उसको पीछे से बाँहों में कसते हुए उसकी गर्दन पर होंठ रख दिए तो वो पलट कर उसके साथ चिपकते हुए हंसने लगी, बोली- मुझे मालूम है भाभी ! भाई तुम्हें खुश नहीं कर पाते ! बबलू और मुझे चोदने में लगे रहे पिंटू और रवि ने ललिता को चोदा। शाम के ७ बजे तक हम सभी नंगे चुदाई का खेल खेलते रहे।

उस दिन के बाद मैं और ललिता मौका देख उनको बुला लेते या उनके पास चले जाते। अब चार लंड घर में थे, मायके जा कर कालू, यहाँ मुकुल, बबलू, रवि और पिंटू !

मेरी कोख भी हरी हो गई, मैं मुकुल के बच्चे की माँ बनने वाली हूँ क्यूंकि उसने किसी और को अपना पानी मेरे अन्दर डालने से मना किया था, या निरोध लगाते या बाहर निकाल लेते !

सासू माँ बहुत खुश है ! पति सोचता है कि शायद पाँच-सात मिनट की ठुकाई से उसने मुझे गर्भवती किया है।

पंगा तब पड़ा जब ललिता का गर्भ ठहर गया।

सबने मिलकर एक नर्स को पॉँच हज़ार रुपये दे उसका पेट साफ़ करवाया।

समय ज्यादा होने से इतने पैसे लगे इस तरह मैंने चार और लोगों के साथ संबंध बना लिए।

उसके बाद क्या क्या हुआ सब बताऊँगी अगली बार !

बाय बाय !